Monday, November 12, 2012

kya sochta hai?

ऐ मेरे मन क्या सोचता है ,
 क्यों आज तू इतना उदास है ,
क्यों आज तू इतना निराश है ,
क्या बात है ,
क्यों तू इतना हताश है ,
कौन  सा मंजिल छुट गया ?
या रास्ते में ही है तू टूट गया !
 क्यों है ऐसा सोचता ,
"की तू है पीछे छुट गया"
तू राम कृष्ण और बुद्ध नहीं है ,
गुरु गोविन्द का शिष्य नहीं है ,
चिंता मत कर चिंतन कर तू और बस अपना तू कर्म किये जा ,
इस दुनिया को जी भर के जिए जा ,
हर नये सवेरे को तू अपना बना ,
 ऐ मेरे मन क्या सोचता है ,
चल एक नई उम्मीद से एक नए विशवाश से ,
ऐ मेरे मन मेरे साथ तू चल,
 तेरी मंजिल का पता मै  बतलाता हूँ ,
तू बस उस पथ पर चला चल। ऐ मेरे मन क्या सोचता है।