
मै अपने गाँव के स्कूल में पचवी तक पढ़ा ,उस दौरान कई ऐसी घटनाएँ हुई जिसने मुझे बहुत प्रभावित किया । मै उन घटनाओ को कभी भुला नहीं सकता । अपने गांव में मै काफी कम घुमा करता था ,अपने घर के आस पास के कुछ लोगो को छोड़ कर मै पुरे गाँव के बहुत से लोगो को पहचानता भी नहीं था। मै आठ साल का था,(क्लास ३)
वो सर्दिओं के ख़त्म होने के दिन थे । आम के पेधों मंजर नजर आने लगे थे । खेतो में मटर की बलिया पकने को थी । मै सांम के वक्त अपने घर के समीप के खेत में मटर तोड़ने अकेला गया था । घर पे किसी को कुछ कहे बिना । मेरे घर में उस दिन बहुत से लोग थे ,मेरी बुआ आई हुई थी और मेरे सारे फुफेरे भाई -बहन ,घर में काफी चहल -पहल थी । और मै अकेला चला गया । घर पे किसी को कुछ भी कहे बिना । साम हो चुकी थी अँधेरा होने को था ।
Swagat hai..aapne 'kramash:" nahi likha?
ReplyDeletedhnaywad guri ji
ReplyDeleteइस नए चिट्ठे के साथ हिंदी ब्लॉग जगत में आपका स्वागत है .. नियमित लेखन के लिए शुभकामनाएं !!
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