
मै मिलना चाहता हूँ , उन यादों से जिनमे बचपन की कुछ बाते हैं ,
कुछ यादें है कुछ वादें हैं
अपने दोस्तों से अपने खेतो से अपने खलिहानों से जो किया था मैंने कभी उनसे ,
जो आज भी अधूरे हैं।
मै मिलना चाहता हूँ ,
उन गली मोहल्लो से खेतो की पगडंडियो से और गावँ के उस स्कुल से ,
जहाँ सिखा था लिखने का ज्ञान कभी ।
मै मिलना चाहता हूँ उन बनबेर के झुर्मुठो से ,
उन जंगली आम के पेडों से जो अपने से थे कभी अपने नहीं है अभी।
मै मिलना चाहता हूँ उन यादों से ।